60 फीसदी कैंसर को रोकना संभव
सुमन कुमार
एक हालिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ब्रिक्स देशों यानी ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका में हर वर्ष कैंसर के कारण अरबों डॉलर मूल्य की उत्पादकता की हानि हो रही है। अकेले भारत भी पिछले साल कैंसर के कारण 6.7 अरब डॉलर यानी करीब 43555 करोड़ रुपये की उत्पादकता की हानि हुई। यह देश के सकल घरेलू उत्पाद का करीब .36 फीसदी हिस्सा है। इन देशों में कैंसर की जांच और इलाज पर आने वाला खर्च और इसकी राह में आने वाली कठिनाइयां ये बताने के लिए काफी हैं कि कैंसर पर प्रभावी रोक लगाना कितना जरूरी है।
कैंसर का सबसे अधिक प्रसार
भारत में करीब 40 फीसदी कैंसर, जिसका बड़ा हिस्सा फेफड़े और मुंह के कैंसर के रूप में दिखता है, का कारण तंबाकू जबकि 20 फीसदी कैंसर हेपेटाइटिस बी और ह्यूमन पेपीलोमावाइरस आदि के संक्रमण से होता है। ये दोनों संक्रमण क्रमश: लीवर कैंसर और सर्वाइकल कैंसर का कारण हैं। भारत में कैंसर रोगियों की संख्या सिर्फ जांच की आधुनिक मशीनों के कारण ही नहीं बढ़ी हुई दिख रही है बल्कि इसके लिए कहीं न कहीं जीवन जीने का हमारा तरीका भी जिम्मेदार है।
आम कैंसर कौन से हैं
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉक्टर के.के. अग्रवाल कहते हैं कि भारत में कैंसर के मामलों का बोझ बढ़ रहा है। भारत में हर वर्ष करीब 10 लाख नए कैंसर मामले सामने आ जाते हैं। महिलाओं में स्तन कैंसर जबकि पुरुषों में मुंह का कैंसर सबसे आम है। कैंसर से होने वाली एक तिहाई मौतों का कारण 5 मुख्य व्यवहारजन्य और खानपान जोखिमों से जुड़ा है। ये पांच जोखिम हैं तंबाकू का सेवन, मोटापा, फल एवं सब्जियों का कम सेवन, शारीरिक गतिविधि कम होना और शराब का सेवन। इसके साथ ही यह भी ध्यान रखने वाली बात है कि कैंसर के सिर्फ 12.5 फीसदी मरीज ही बीमारी के शुरुआती दौर में इलाज के लिए पहुंचते हैं। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो ऊपर दिए गए पांच कारणों पर यदि प्रभावी नियंत्रण पाया जाए तो कैंसर से मौत के एक तिहाई मामलों को कम करना संभव है।
कैंसर है क्या
कैंसर ऐसी बीमारियों का समूह है जिसमें शरीर की कोशिकाओं में अनियंत्रित वृद्धि होने लगती है। अभी तक 100 से अधिक प्रकार के कैंसर की पहचान हो चुकी है और इनमें से हरेक को शुरुआत में प्रभावित होने वाली कोशिकाओं के जरिये वर्गीकृत किया गया है। शरीर के डीएनए को नुकसान पहुंचाने वाले कारसिनोजीन्स नामक सब्सटांस का वर्ग शरीर में कैंसर को बढ़ावा देने के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार होता है।
शुरुआती जांच महत्वपूर्ण
डॉक्टर अग्रवाल कहते हैं कि ये सभी को पता है कि कैंसर का शुरुआती दौर पर पता चल जाए तो उसका इलाज काफी कम खर्च में हो सकता है। साथ ही शुरुआती लक्षण उभरने पर ही यदि मरीज इलाज के लिए पहुंचे तो कैंसर में मृत्यु दर को भी कम किया जा सकता है। दुर्भाग्यवश भारत में दो तिहाई कैंसर मरीज बीमारी के एडवांस स्टेज पर इलाज के लिए पहुंचते हैं जिसके कारण बीमारी के ठीक होने और मरीज के बचने के चांस कम हो जाते हैं।
बचाव
तंबाकू का इस्तेमाल किसी भी रूप में करना सही नहीं है। इसकी लत से जितनी जल्दी पीछा छूट जाए उतना अच्छा है। सिगरेट से फेफड़े, गले, पैन्क्रियाज, ब्लैडर, सर्विक्स और किडनी का कैंसर हो सकता है। तंबाकू चबाने से मुंह और पैंक्रियाज का कैंसर हो सकता है।
स्वस्थ भोजन
खाने में फल, सब्जी, अनाज का इस्तेमाल जितनी जल्दी हो सके बढ़ा लें। फास्ट फूड भले ही जीभ को अच्छा लगे, शरीर को अच्छा नहीं लगता है।
वजन पर नियंत्रण रखें
वजन को यदि कंट्रोल में रखेंगे तो कई तरह के कैंसर के जोखिम से बच जाएंगे। उदाहरण के लिए स्तन कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर, फेफड़े का कैंसर, किडनी का कैंसर आदि। रोजाना व्यायाम से आपका वजन तो नियंत्रण में रहेगा ही साथ ही शरीर भी फिट रहेगा।
असुरक्षित सेक्स से बचें
अभी तक यह कहा जाता था कि असुरक्षित सेक्स से एचआईवी एड्स हो सकता है मगर इससे दूसरे और संक्रमण भी हो सकते हैं जो कैंसर के जोखिम को बढ़ाते हैं इसलिए असुरक्षित सेक्स से दूर ही रहें।
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